आज भी

 तुम जीते हो

आज भी जीते हो
जीवन मखमली पुंज नहीं
उर मे बसे
गहन संवेदन हो
तुम सतत हो
जाग्रत हो
तुम्हें सदैव नमन हो

मनोज शर्मा

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