लिवास

 ज़िन्दगी रोज़ मिलती है

नये लिवास में
कभी यहां कभी वहां
नये चेहरे की तलाश में
यकीनन्
कभी पुराने
कभी नये सवाल में
कोई कमतर नहीं यों तो
जिन्दगी यौं ही चलती है
हमख्याल होती है
मुखतलिफ चेहरों से
रुबरु होती है
यहां चेहरे बदलते हैं
जिन्दगी नहीं
हर इक चेहरा दूजे से जुदा है
पर ज़िन्दगी आज भी
संग है माझी सी
उन्ही चेहरों में
जहां प्रेम है
फरेब है
और ज़िन्दगी बसी है

मनोज शर्मा

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