तुम

 रोज बांध लेते हैं

मुझे
वो तुम्हारे बोल
पूर्ववत
मधुर कर जाते हैं
नित्
कोई आता है यहां
एक बार
शायद वो तुम हो
तुम ही हो

मनोज शर्मा

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