नये शब्द

 नये शब्दों में

नयी बातो से
रोज़ नया सृजन आता है
जो पुराने से भिन्न है
आधुनिक ही नही
अत्याधुनिक होते हैं
ये शब्द
ये बात नही कहते
वरन् गूंजते हैं
कौंधते आकाश में
ठिठकते हैं
नयी चेतना लाते हैं
पुनः नयी स्फूर्ति पाते हैं
शब्द अब शब्द नहीं
क्योंकि शब्द ही शिष्ट करते हैं
पर कुछ शब्द
जब शब्द नहीं रहते
अशिष्ट कर जाते हैं
शब्दों को शब्द ही रहने दें
ये पुरानों से भिन्न हैं
पर आज भी शब्द हैं

मनोज शर्मा

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