सुख

 एक उम्र होती है,जब हर आदमी एक औसत सुख के दायरे में रहना सीख लेता है..उसके परे देखने की फुरसत उसके पास नहीं होती,यानि उस क्षण तक महसूस जब तक खुद उसके दायरे में ..आपने अक्सर देखा होगा कि जिसे हम सुख कहते हैं वह एक ख़ास लमहे की चीज़ है۔۔

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